क्यों सरकार कर रही है निजीकरण? क्यों बेच जा रहा है सरकारी संपत्ति को? Satire | Sarcastic Post

बात दरसल तब की है जब देश में नेहरू का शासन हुआ करता था और लोग हमेशा परेशान रहा करते थे। नेहरू को हमेशा डर रहता था कि लोग रास्तों पर आकर विद्रोह न करदे। इसलिए नेहरू ने एक तरकीब लगाई जिससे वो विद्रोह को दबा सके। नेहरू ने कई सारे कॉलेज, कम्पनियां, बैंक, अस्पताल आदि बनवाये जिसमे लोगो को रोजगार मिला जिससे लोग अपने काम मे व्यस्त हो गए और देश निर्माण और धर्म रक्षा का काम भूल गए।

privatisation ke fayde


नेहरू की अच्छी कटने लगी थी। उसके बाद आने वाली सरकारों को भी यह तरकीब समझ आ चुकी थी और वो भी अब इस तरकीब का खूब फायदा उठा रहे थे। वो ज्यादा से ज्यादा लोगो को सरकारी नौकरी देते। बस इतना ही नही युवाओं को आंदोलनों से दूर रखने के लिए उन्हें सरकारी नौकरी, और अच्छे कॉलेज में शिक्षा का लालच दिया जाने लगा। युवा भी सब भूलकर पढ़ाई करने लगे और सत्तर साल तक सरकार चलती रही। बाकी सरकार आम आदमी को आंदोलन से रोकने के लिए उसे सस्ता पेट्रोल,गैस, ट्रेन,खाना, अस्पताल, पुलिस सुरक्षा और नौकरियां देने लगी। आम आदमी अपने जीवन मे मशगूल होकर सब भूल चुका था।

लेकिन अब मोदीजी आ चुके थे और देश के लिए राष्ट्रनिर्माण(आंदोलन) और धर्मरक्षा पर ज़ोर देने की तैयारी कर चुके थे। मोदीजी ने आते ही सबसे पहले पेट्रोल, खाना, शिक्षा आदि चीजो को महँगा करना शुरू किया जिससे आम आदमी की नींद उड़ गई और वो उठकर बैठ गया। अब बारी थी उन लोगो की जो सरकारी कम्पनियों और बैंकों में दिन रात मेहनत किया करते थे। लेकिन यह इतना आसान नही था। मोदीजी ने इन सरकारी कम्पनियों को बड़े उद्योगपतियो के सर पर लाद दिया क्योंकि ये उद्योगपति केवल आराम की जिंदगी गुजारा करते थे। लेकिन अब देश की सरकारी बैंकों और कम्पनियों के मालिक बनने के बाद उन्हें भी मेहनत मजदूरी करनी पड़ती। और जो लोग इन सरकारी संस्थानों में मेहनत कर रहे थे उन्हें घर बैठकर आराम करने का अवसर मिल गया था। मोदीजी समझ चुके थे कि अब ये आदमी खाली बैठा हुआ है और यही देशनिर्माण के कार्य मे हाथ बढ़ा सकता है। और मोदीजी सही थे इन्ही लोगो ने आंदोलन शुरू किए और देशभर में निजीकरण के खिलाफ मुहिम चलाई।
लेकिन सिर्फ कुछ लोगो के आंदोलन(देश निर्माण) करने से देश का निर्माण असम्भव था। इसलिए अब किसानों और युवाओं को भी आंदोलन में लाना जरूरी थी। मोदीजी ने कृषि बिल लाया जिससे गाँवो में चैन की जिंदगी गुजारने वाले किसान की नींद उड़ गई और वो आंदोलन करने बैठ गया। मोदीजी ने सरकारी नौकरियों की सीटों को बोहोत कम करदिया जिससे हुआ ये कि अब युवा बेरोजगरी की समस्या से घिर गया और उसने पढ़ाई लिखाई छोड़कर आंदोलन करना शुरू कर दिया। देश मे किसान, आम आदमी, छात्र, बैंककर्मी सभी आंदोलन कर देशनिर्माण का कार्य कर रहे है।

लेकिन कुछ देशद्रोही चाहते है कि मोदीजी इनकी माँगो को मान ले और ये लोग फिर से अपनी जिंदगी में मशगूल होकर देश निर्माण का कार्य भूल जाये। क्या हमें ऐसा होने से रोकना नही चाहिए? बिल्कुल भाइयों और लड़कियो, हम इस बात को जन जन तक पहुंचाएंगे ताकि सभी को पता चले कि क्यों मोदीजी ने सरकारी कम्पनियों को बेच है, कृषि बिल लाया है और नौकरियो को खत्म किया है।
जय हिन्द जय माँ भारती।

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