क्या भारत में हुई थी बल्ब की खोज? कैसे भारत से अमेरिका पहुंचा बिजली का बल्ब ?

क्या है पूरा मामला ? किसने की थी बिजली के बल्ब की खोज ? कैसे भारत से अमेरिका पहुंचा बिजली का बल्ब ?




प्राचीन काल की बात है अन्धेरपुर नामक स्थान पर एक बहुत देशभक्त ,कट्टर हिन्दू वैज्ञानिक रहता था जिसका नाम था दिलीप | दिलीप के गाँव में बिजली नही हुआ करती थी क्यू कि उस वक़्त देश में नेहरु का शासन था | नेहरु की असफलता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि उस वक़्त दिन में भी घना अँधेरा हुआ करता था और रात दिन जुगनू चमकते रहते जिसके कारण पुरे इलाके का नाम अँधेरी पड़ गया था लेकिन नेहरु ने जनता को बिजली दिलाने के लिए कोई कदम नही उठाया |

दिलीप ने इंजीनियरिंग की पढाई की थी जिसके कारण उसने फैन रिपेयर करने का दूकान खोल लिया था | साथ ही वह नये नये अविष्कारों के बारे में सोचता रहता |एक दिन उसने कई सारे जुगनुओ के पिछवाड़े का अध्यन कर बिजली के बल्ब की खोज कर ली | इस बल्ब से बोहोत ज्यादा रौशनी हो जाती थी,उससे रौशनी इतनी होती कि अगर इस बल्ब को खम्बे पर लगाया जाता तो ऐसा लगता मानो कोई आदमी हेप्पीडेंट खाकर खम्बे पर लटका हुआ हो| दिलीप ने इस बल्ब को अपना नाम दिया था और सभी इसे दिलीप बल्ब ही कहते |

उस वक़्त पडोस में रहने वाले व्यक्ति आदिसेन की नज़र इस बल्ब पर पड़ी और उसे अमीर बनने का लालच आया | उसने सोचा क्यू न इस आविष्कार को अंग्रेजो को ऊँचे दामो पर बेच दिया जाए और ढेर सारा पैसा कमाया जाए | उसने दिलीप को दे मै बल्ब चार्ज करके देता हु बोलकर बल्ब ले लिया और दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन से सीधा अमृतका (आज का अमेरिका ) चला गया | वहाँ आदिसेन पर एक इसाई परिवार की नजर पड़ी , उन्होंने लालच में आकर आदिसें को गोद ले लिया और उसका धर्म परिवर्तन करवाकर उसका नाम एडिसन रख दिया | और उसने उस दिलीप बल्ब का नाम भी बदलकर फिलिप्स बल्ब रख दिया | आज पूरी दुनिया में फिलिप्स बल्ब बेचे जाते है लेकिन कोई नही जानता है कि इनका आविष्कार भारत में हुआ था |

क्या हमारा कर्तव्य नही है कि हम इस बात को सभी तक पहुंचाए और अखंड भारत का नाम उस बल्ब से भी ज्यादा रोशन करे ? इसे इतना शेयर करे कि यह बात अमेरिका तक पहुँच जाए और हर खम्बे का नाम बदलकर दिलीप खम्बा रखा जाये | सच्चे हिन्दूस्तानी देखते ही इसे शेयर करेंगे |
जय माँ भारती

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